हर इंसान को अपनी ज़िन्दगी की किताब मे कुछ पन्ने खुद से लिखना चाहिए अक्सर दूसरो की खाली जगह देख कर या तो लोग उसे अपनी जागीर समझते है या फिर आपकी किताब मे आपके ही किरदार को अपनी तरह से प्रस्तुत करते है
Waqt laga khud ko samjhane me Adhi zindagi beet gai ruthne manane me Ao gusse me bhi sath rahe kuchh pal kya pata Tum samajh jao kya harz hai thoda muskurane me
अब बेखौफ जिंदगी है मेरी न कोई आजमाइश रही। न कोई रंजिश है खुदा के बन्दों से न किसी से कोई फरमाइश रही । वैसे तो मुकद्दर मे तुम्हारे शिवा सब मिला मुझे जिसकी कभी मुझे ख्वाहिश ही नही रही । कुछ तो इल्म था मुझे । कि यू ही नही आये दुनिया मे हम कुछ तुम्हारा ही कर्ज़ बाकी था ।। जिसकी कीमत रूह खो कर चुकाई हमने ।
मेरा माझी भी मेरी मंजिल से अनजान है हर मोड़ पर एक नया तूफान है जब भी लगा बस अगला मोड़ मेरी ख्वाहिश है जिंदगी वही थम जाती है जैसे सामने कोई अहंकारी चट्टान है