अब बेखौफ जिंदगी है मेरी न कोई आजमाइश रही। न कोई रंजिश है खुदा के बन्दों से न किसी से कोई फरमाइश रही । वैसे तो मुकद्दर मे तुम्हारे शिवा सब मिला मुझे जिसकी कभी मुझे ख्वाहिश ही नही रही । कुछ तो इल्म था मुझे । कि यू ही नही आये दुनिया मे हम कुछ तुम्हारा ही कर्ज़ बाकी था ।। जिसकी कीमत रूह खो कर चुकाई हमने ।