कैद मे है जिन्दगी
यहा जिन्दगी कटघरे मे है खुद से ही सवाल के ढेर है बगैर जुल्म सजा मुकम्मल है कुदरती हवा मे भी जहर है यह कैसा दौर है जिन्दगी का यहा जिन्दगी कटघरे मे है खुद से ही सवाल के ढेर है जब तक जिन्दगी कैद मे है तो जिंदा है आजादी मे खौफ है पर दिल आज भी परिन्दा है जहा इबादत बेअसर है और खुदा भी खामोश है यह कैसा दौर है जिन्दगी का यहा जिन्दगी कटघरे मे है खुद से ही सवाल के ढेर है